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दुर्मिल सवैया





दुर्मिल सवैया 


जपते रहना रघुनायक को , भजते चलना मन से रमना।

जगना उन में रखना हिय में सजना उन से उर की कहना।

रहना उन से सहना उन से चलना उन से सब को गहना।

बहना उन में अनुराग लिये अति प्रीति किये दृढ़ता रखना।




  दुर्मिल सवैया


ममता सब के प्रति हो उगती, धरती पर हो हरियाल सदा।

सब में सहयोग स्वभाव जगे,सब प्रीति करें मन की सुखदा।

अनुराग तड़ाग बहे उर में, सब रीति निभाय  करें शुभदा।

अनुशासन हो सब में मम का,सरिता शुचितामय होय वदा।।

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

03-Jan-2023 08:25 PM

बेहतरीन

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Haaya meer

01-Jan-2023 09:20 PM

👌👌

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Muskan khan

01-Jan-2023 07:21 PM

Nice

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